सियासत पर ग़ज़लें

सियासत पर शायरी एक मानी

में सियासत की मनफ़ी सूरतों का बयानिया है। एक तख़्लीक़-कार अपने आस पास बिखरी हुई दुनिया से बा-ख़बरी की जिस गहरी सतह पर होता है वह एक आम से आदमी के दायरे से बाहर है। इन शेरों में आप देखेंगे कि शायर सियासत, सियासी निज़ाम और सियसतदानों को किस अलग और मुनफ़रिद नुक़्ता-ए-नज़र से देखता है और उन पर तब्सिरा करता है।

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए