गणतंत्र दिवस शायरी पर चित्र/छाया शायरी

शायरी में वतन-परस्ती

के जज़्बात का इज़हार बड़े मुख़्तलिफ़ ढंग से हुआ है। हम अपनी आम ज़िंदगी में वतन और इस की मोहब्बत के हवाले से जो जज़्बात रखते हैं वो भी और कुछ ऐसे गोशे भी जिन पर हमारी नज़र नहीं ठहरती इस शायरी का मौज़ू हैं। ये अशआर पढ़िए और इस जज़बे की रंगारंग दुनिया की सैर कीजिए।

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की ख़ुशबू

सच्चे वतन-परस्त का गीत

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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