जिस आसमान पर कबूतर, शफ़क़, पतंग और सितारे न हों ऐसे आसमान की तरफ़ नज़र उठा कर देखने को जी नहीं चाहता।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
जिस आसमान पर कबूतर, शफ़क़, पतंग और सितारे न हों ऐसे आसमान की तरफ़ नज़र उठा कर देखने को जी नहीं चाहता।
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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