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रद करें डाउनलोड शेर

सामाजिक अन्याय पर कहानियाँ

रहमान के जूते

जूते के ऊपर जूते चढ़ जाने को किसी सफ़र से जोड़ कर अँधविश्वास को बयान करती एक मर्मस्पर्शी कहानी। खाना खाते वक्त रहमान का जूता दूसरे जूते पर चढ़ा तो उसकी बीवी ने कहा कि उसे अपनी बेटी जीना से मिलने जाना है। जीना से मिलने जाने के लिए उसकी माँ ने बहुत सारी तैयारियाँ कर रखी थीं। फिर वह अपनी बेटी से मिलने के लिए सफ़र पर निकल पड़ा और सफ़र में उसके सामान की गठरी कहीं गुम हो जाती है जिसके लिए वह एक कांस्टेबल से उलझ जाता है। ज़ख़्मी हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। वहाँ भी उसका जूता दूसरे पर चढ़ा हुआ है जो इस बात का इशारा था कि वह अब एक लंबे सफ़र पर जाने वाला है।

राजिंदर सिंह बेदी

मालकिन

उस हवेली की पूरे इलाके में बड़ी ठाट थी। हर कोई उसके आगे सिर झुका कर चलता था। लेकिन विभाजन ने सब कुछ बदल दिया था और फिर उसके बाद 1950 के सैलाब ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी। उसके बाद हवेली को लेकर हुई मुक़दमेबाज़ी ने भी मालकिन को किसी क़ाबिल न छोड़ा। मालकिन का पूरा ख़ानदान पाकिस्तान चला गया था। वहाँ से उनके एक चचा-ज़ाद भाई ने उन्हें बुलवा भी भेजा था लेकिन मालकिन ने जाने से मना कर दिया। वह अपना सारा काम चौधरी गुलाब से करा लिया करती थीं। बदलते वक़्त के साथ ऐसा समय भी आया कि हवेली की बची-खुची शान-ओ-शौकत भी जाती रही और वह किसी खंडहर में तब्दील हो गई। नौबत यहाँ तक आ गई कि मालकिन ने गुज़ारा करने के लिए कुर्ते सीने का काम शुरू कर दिया। इस काम में चौधरी गुलाब उनकी मदद करता है। लेकिन इस मदद को लोगों ने अपने ही तरह से लिया और दोनों को बदनाम करने लगे।

क़ाज़ी अबदुस्सत्तार

लकड़बग्घा रोया

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

धूप की तलाश

ख़ुर्शीद आलम

चेचक के दाग़

"जय राम बी.ए पास रेलवे में इकसठ रुपये का मुलाज़िम है। जय राम के चेहरे पर चेचक के दाग़ हैं, उसकी शादी सुखिया से हुई है जो बहुत ख़ूबसूरत है। सुखिया को पहले पहल तो जय राम से नफ़रत होती है लेकिन फिर उसकी शराफ़त, तालीम और नौकरी-पेशा होने के ख़याल से उसके चेचक के दाग़ को एक दम फ़रामोश कर देती है और शिद्दत से उसके आने का इंतज़ार करती रहती है। जय राम कई बार उसके पास से आकर गुज़र जाता है, सुखिया सोचती है कि शायद वो अपने चेचक के दाग़ों से शर्मिंदा है और शर्मीलेपन की वजह से नहीं आ रहा है। रात में सुखिया को उसकी ननद बताती है कि जय राम ने सुखिया की नाक लंबी होने पर एतराज़ किया है और उसके पास आने से इनकार कर दिया है।"

राजिंदर सिंह बेदी

क़ासिम

अफ़साना घरों में काम करने वाले बच्चों के शोषण पर आधारित है। क़ासिम इंस्पेक्टर साहब के यहाँ नौकर था। वह बहुत कम-उम्र था फिर भी उस से घर-भर के काम लिए जाते थे। इतने कामों के कारण उसकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती थी। काम से बचने के लिए उसने एक रोज़़ चाकू़ से अपनी उँगली काट ली। उसका यह तरीक़ा काम कर गया। उसे कई दिन के लिए काम से छुट्टी मिल गई। ठीक होने के कुछ दिन बाद ही उसने फिर से अपनी अंगुली काट ली। मगर जब उसने तीसरी बार उँगली काटी तो मालिक ने तंग आ कर उसे घर से निकाल दिया। दवाई के अभाव में क़ासिम की ताज़ा कटी उँगली में सैप्टिक हो गया। जिस कारण डॉक्टर को उसका हाथ काटना पड़ा। हाथ कटने पर वह भीख माँगने का धंधा करने लगा।

सआदत हसन मंटो

तमाशा घर

इक़बाल मजीद

अब और कहने की ज़रुरत नहीं

उचित फ़ीस लेकर दूसरों की जगह जेल की सज़ा काटने वाले एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जो लोगों से पैसे ले कर उनके किए जुर्म को अपने सिर ले लेता है और जेल की सज़ा काटता है। उन दिनों जब वह जेल की सज़ा काट कर आया था तो कुछ ही दिनों बाद उसकी माँ की मौत हो गई थी। उस वक़्त उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह माँ का कफ़न-दफ़न कर सके। तभी उसे एक सेठ का बुलावा आता है, पर वह जेल जाने से पहले अपनी माँ को दफ़ानाना चाहता है। सेठ इसके लिए उसे मना करता है। जब वह सेठ से बात तय कर के अपने घर लौटता है तो सेठ की बेटी उसके आने से पहले ही उसकी माँ के कफ़न-दफ़न का इंतज़ाम कर चुकी होती है।

सआदत हसन मंटो

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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