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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

प्रतिकात्मक पर कहानियाँ

बादशाहत का ख़ात्मा

"सौन्दर्य व आकर्षण के इच्छुक एक ऐसे बेरोज़गार नौजवान की कहानी है जिसकी ज़िंदगी का अधिकतर हिस्सा फ़ुटपाथ पर रात बसर करते हुए गुज़रा था। संयोगवश वो एक दोस्त के ऑफ़िस में कुछ दिनों के लिए ठहरता है जहां एक लड़की का फ़ोन आता है और उनकी बातचीत लगातार होने लगती है। मोहन को लड़की की आवाज़ से इश्क़ है इसलिए उसने कभी उसका नाम, पता या फ़ोन नंबर जानने की ज़हमत नहीं की। दफ़्तर छूट जाने की वजह से उसकी जो 'बादशाहत' ख़त्म होने वाली थी उसका विचार उसे सदमे में मुब्तला कर देता है और एक दिन जब शाम के वक़्त टेलीफ़ोन की घंटी बजती है तो उसके मुँह से ख़ून के बुलबुले फूट रहे होते हैं।"

सआदत हसन मंटो

आख़री बन-बास

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

एक हलफ़िया बयान

इक़बाल मजीद

लकड़बग्घा हँसा

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

जनरल नॉलेज से बाहर का सवाल

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

लकड़बग्घा रोया

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

क़दीम मा'बदों का मुहाफ़िज़

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

पेशाब घर आगे है

इक़बाल मजीद

एक क़त्ल की कोशिश

इक़बाल मजीद
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