तेवर पर शेर

तेवर तो माशूक़ ही पर

जचते हैं। माशूक़ का चेहरा तेवरों से ख़ाली हो तो फिर वो माशूक़ का चेहरा ही कहाँ हुआ। लेकिन आशिक़ इन तेवरों को किस तौर पर महसूस करता है। उनसे उस के लिए किस तरह की मुश्किलें पैदा होती हैं इन सब बातों को जानना एक दिल-चस्प तजर्बा होगा। हमारे चुने हुए इन शेरों को पढ़िए।

हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन

उन के बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते

अली अहमद जलीली

इस क़दर आप के बदले हुए तेवर हैं कि मैं

अपनी ही चीज़ उठाते हुए डर जाता हूँ

अहमद कमाल परवाज़ी

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए