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अतहर नफ़ीस

1933 - 1980 | कराची, पाकिस्तान

नई ग़ज़ल के महत्वपूर्ण पाकिस्तानी शायर/अपनी ग़ज़ल ‘वो इश्क़ जो हम से छूट गया........’ के लिए प्रसिद्ध जिसे कई गायकों ने आवाज़ दी है

नई ग़ज़ल के महत्वपूर्ण पाकिस्तानी शायर/अपनी ग़ज़ल ‘वो इश्क़ जो हम से छूट गया........’ के लिए प्रसिद्ध जिसे कई गायकों ने आवाज़ दी है

अतहर नफ़ीस

ग़ज़ल 22

अशआर 21

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा

होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा

दरवाज़ा खुला है कि कोई लौट जाए

और उस के लिए जो कभी आया गया हो

हमारे इश्क़ में रुस्वा हुए तुम

मगर हम तो तमाशा हो गए हैं

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मुझ को फ़रेब देने वाले

मैं तुझ पे यक़ीन कर चुका हूँ

इक शक्ल हमें फिर भाई है इक सूरत दिल में समाई है

हम आज बहुत सरशार सही पर अगला मोड़ जुदाई है

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वीडियो 14

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अतहर नफ़ीस

दिल की मसर्रतें नई जाँ का मलाल है नया

अतहर नफ़ीस

'अतहर' तुम ने इश्क़ किया कुछ तुम भी कहो क्या हाल हुआ

अतहर नफ़ीस

बे-नियाज़ाना हर इक राह से गुज़रा भी करो

अतहर नफ़ीस

बे-नियाज़ाना हर इक राह से गुज़रा भी करो

अतहर नफ़ीस

ऑडियो 7

'अतहर' तुम ने इश्क़ किया कुछ तुम भी कहो क्या हाल हुआ

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा

दिल की मसर्रतें नई जाँ का मलाल है नया

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