Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Jan Nisar Akhtar's Photo'

जाँ निसार अख़्तर

1914 - 1976 | मुंबई, भारत

महत्वपूर्ण प्रगतिशील शायर और फ़िल्म गीतकार। फ़िल्म गीतकार जावेद अख़्तर के पिता

महत्वपूर्ण प्रगतिशील शायर और फ़िल्म गीतकार। फ़िल्म गीतकार जावेद अख़्तर के पिता

जाँ निसार अख़्तर

ग़ज़ल 46

नज़्म 17

अशआर 32

ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें

इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं

लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से

तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से

सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी

तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी

और क्या इस से ज़ियादा कोई नर्मी बरतूँ

दिल के ज़ख़्मों को छुआ है तिरे गालों की तरह

अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें

कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं

क़ितआ 32

पुस्तकें 46

चित्र शायरी 23

वीडियो 20

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
जब लगें ज़ख़्म तो क़ातिल को दुआ दी जाए

जाँ निसार अख़्तर

ज़िंदगी ये तो नहीं तुझ को सँवारा ही न हो

जाँ निसार अख़्तर

तुलू-ए-सुब्ह है नज़रें उठा के देख ज़रा

जाँ निसार अख़्तर

हम ने काटी हैं तिरी याद में रातें अक्सर

जाँ निसार अख़्तर

ऑडियो 31

अशआ'र मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं

अच्छा है उन से कोई तक़ाज़ा किया न जाए

अशआ'र मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं

Recitation

संबंधित ब्लॉग

 

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए