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प्रकाश फ़िक्री

1931 - 2008 | रांची, भारत

प्रकाश फ़िक्री (ज़हीरुल हक़) आधुनिक उर्दू शायरों में विशिष्ट स्थान प्राप्त। सफ़र सितारा और एक ज़रा सी बारिश उनकी किताबें हैं।

प्रकाश फ़िक्री (ज़हीरुल हक़) आधुनिक उर्दू शायरों में विशिष्ट स्थान प्राप्त। सफ़र सितारा और एक ज़रा सी बारिश उनकी किताबें हैं।

प्रकाश फ़िक्री

ग़ज़ल 28

अशआर 5

यूँ तो अपनों सा कुछ नहीं इस में

फिर भी ग़ैरों से वो अलग सा है

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लर्ज़ां है किसी ख़ौफ़ से जो शाम का चेहरा

आँखों में कोई ख़्वाब पिरोने नहीं देता

जिधर देखो लहू बिखरा हुआ है

निशाना कौन गोली का बना है

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मुझे तो यूँ भी इसी राह से गुज़रना था

दिल-ए-तबाह का कुछ तो इलाज करना था

मुर्दा पड़े थे लोग घरों की पनाह में

दरिया वफ़ूर-ए-ग़ैज़ से बिफरा था चार सू

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पुस्तकें 31

ऑडियो 10

एहसास-ए-ज़ियाँ चैन से सोने नहीं देता

काली रातों में फ़सील-ए-दर्द ऊँची हो गई

किसी का नक़्श अँधेरे में जब उभर आया

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