Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Pirzada Qasim's Photo'

पीरज़ादा क़ासीम

1943 | कराची, पाकिस्तान

समाजिक और राजनैतिक व्यंग पर अधारित शायरी के लिए विख्यात पाकिस्तानी शायर

समाजिक और राजनैतिक व्यंग पर अधारित शायरी के लिए विख्यात पाकिस्तानी शायर

पीरज़ादा क़ासीम

ग़ज़ल 51

नज़्म 14

अशआर 6

शहर तलब करे अगर तुम से इलाज-ए-तीरगी

साहिब-ए-इख़्तियार हो आग लगा दिया करो

तुम्हें जफ़ा से यूँ बाज़ आना चाहिए था

अभी कुछ और मिरा दिल दुखाना चाहिए था

  • शेयर कीजिए

उस की ख़्वाहिश है कि अब लोग रोएँ हँसें

बे-हिसी वक़्त की आवाज़ बना दी जाए

इक सज़ा और असीरों को सुना दी जाए

यानी अब जुर्म-ए-असीरी की सज़ा दी जाए

ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं

दर्द में ढल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं

पुस्तकें 4

 

चित्र शायरी 2

 

वीडियो 26

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

पीरज़ादा क़ासीम

पीरज़ादा क़ासीम

पीरज़ादा क़ासीम

पीरज़ादा क़ासीम

अब हर्फ़-ए-तमन्ना को समाअत न मिलेगी

पीरज़ादा क़ासीम

इक सज़ा और असीरों को सुना दी जाए

पीरज़ादा क़ासीम

जिस तरफ़ नज़र कीजे वहशतों का सामाँ है

पीरज़ादा क़ासीम

बे-दिली से हँसने को ख़ुश-दिली न समझा जाए

पीरज़ादा क़ासीम

याद क्या दस्त-ए-हुनर है कि सँवरता गया मैं

पीरज़ादा क़ासीम

पीरज़ादा क़ासीम

अब हर्फ़-ए-तमन्ना को समाअत न मिलेगी

पीरज़ादा क़ासीम

एक से सिलसिले हैं सब हिज्र की रुत बता गई

पीरज़ादा क़ासीम

कुदूरतों के दरमियाँ अदावतों के दरमियाँ

पीरज़ादा क़ासीम

कार-ए-ख़ुलूस-ए-यार का मुझ को यक़ीन आ गया

पीरज़ादा क़ासीम

कार-ए-ख़ुलूस-ए-यार का मुझ को यक़ीन आ गया

पीरज़ादा क़ासीम

ख़ून से जब जला दिया एक दिया बुझा हुआ

पीरज़ादा क़ासीम

ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं

पीरज़ादा क़ासीम

ग़म से बहल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं

पीरज़ादा क़ासीम

चराग़ हूँ कब से जल रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए

पीरज़ादा क़ासीम

चाँद भी बुझा डाला दिल दुखाने वालों ने

पीरज़ादा क़ासीम

ज़ख़्म दबे तो फिर नया तीर चला दिया करो

पीरज़ादा क़ासीम

नज़र में नित-नई हैरानियाँ लिए फिरिए

पीरज़ादा क़ासीम

बे-दिली से हँसने को ख़ुश-दिली न समझा जाए

पीरज़ादा क़ासीम

बे-दिली से हँसने को ख़ुश-दिली न समझा जाए

पीरज़ादा क़ासीम

ये हादिसा मुझे हैरान कर गया सर-ए-शाम

पीरज़ादा क़ासीम

ऑडियो 15

अदाकारी में भी सौ कर्ब के पहलू निकल आए

अब हर्फ़-ए-तमन्ना को समाअत न मिलेगी

अयाँ हम पर न होने की ख़ुशी होने लगी है

Recitation

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए