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Qamar Jalalvi's Photo'

क़मर जलालवी

1887 - 1968 | कराची, पाकिस्तान

पाकिस्तान के उस्ताद शायर, कई लोकप्रिय शेरों के रचयिता।

पाकिस्तान के उस्ताद शायर, कई लोकप्रिय शेरों के रचयिता।

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

क़मर जलालवी

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क़मर जलालवी

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क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

अब कैसे रफ़ू पैराहन हो इस आवारा दीवाने का

क़मर जलालवी

इस में कोई फ़रेब तो ऐ आसमाँ नहीं

क़मर जलालवी

तौबा कीजे अब फ़रेब-ए-दोस्ती खाएँगे क्या

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

उन के जाते ही ये वहशत का असर देखा किए

क़मर जलालवी

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं

क़मर जलालवी

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को

क़मर जलालवी

तुम को हम ख़ाक-नशीनों का ख़याल आने तक

क़मर जलालवी

तौबा कीजे अब फ़रेब-ए-दोस्ती खाएँगे क्या

क़मर जलालवी

पीते ही सुर्ख़ आँखें हैं मस्त-ए-शराब की

क़मर जलालवी

ये दर्द-ए-हिज्र और इस पर सहर नहीं होती

क़मर जलालवी

ये रोज़ हश्र का और शिकवा-ए-वफ़ा के लिए

क़मर जलालवी

राज़-ए-दिल क्यूँ न कहूँ सामने दीवानों के

क़मर जलालवी

साँस उन के मरीज़-ए-हसरत की रुक रुक के चलती जाती है

क़मर जलालवी

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अब कैसे रफ़ू पैराहन हो इस आवारा दीवाने का

अब कैसे रफ़ू पैराहन हो इस आवारा दीवाने का इक़बाल अशहर

अब कैसे रफ़ू पैराहन हो इस आवारा दीवाने का

अब कैसे रफ़ू पैराहन हो इस आवारा दीवाने का इक़बाल बानो

उन की तरफ़ से तर्क-ए-मुलाक़ात हो गई

उन की तरफ़ से तर्क-ए-मुलाक़ात हो गई नुसरत फ़तह अली ख़ान

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं हबीब वली मोहम्मद

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को मेहदी हसन

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को अज्ञात

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को ख़ुर्शीद बेगम

न रुकते हैं आँसू न थमते हैं नाले

न रुकते हैं आँसू न थमते हैं नाले नुसरत फ़तह अली ख़ान

मरीज़-ए-मोहब्बत उन्हीं का फ़साना सुनाता रहा दम निकलते निकलते

मरीज़-ए-मोहब्बत उन्हीं का फ़साना सुनाता रहा दम निकलते निकलते मुन्नी बेगम

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं हबीब वली मोहम्मद

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं हबीब वली मोहम्मद

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को ग़ुलाम अली

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को आशा भोसले

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को नूर जहाँ

शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

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