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Shehpar Rasool's Photo'

शहपर रसूल

1956 | दिल्ली, भारत

महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक शायरों में विख्यात।

महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक शायरों में विख्यात।

शहपर रसूल

ग़ज़ल 23

अशआर 5

मुझे भी लम्हा-ए-हिजरत ने कर दिया तक़्सीम

निगाह घर की तरफ़ है क़दम सफ़र की तरफ़

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मैं ने भी देखने की हद कर दी

वो भी तस्वीर से निकल आया

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कोई साया कोई हम-साया

आब-ओ-दाना ये किस जगह लाया

दूसरों के ज़ख़्म बुन कर ओढ़ना आसाँ नहीं

सब क़बाएँ हेच हैं मेरी रिदा के सामने

रेख़्ता का इक नया मज्ज़ूब है 'शहपर' रसूल

शोहरत उस के नाम पर इक नंग है बोहतान है

क़ितआ 1

 

पुस्तकें 451

ऑडियो 14

उस की बातें क्या करते हो वो लफ़्ज़ों का बानी था

एक दिन न रोने का फ़ैसला किया मैं ने

कब चला जाता है 'शहपर' कोई आ के सामने

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