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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Syed Zameer Jafri's Photo'

सय्यद ज़मीर जाफ़री

1914 - 1999 | इस्लामाबाद, पाकिस्तान

पाकिस्तान के लोकप्रिय हास्य-व्यंग शायर

पाकिस्तान के लोकप्रिय हास्य-व्यंग शायर

सय्यद ज़मीर जाफ़री के शेर

हम ने कितने धोके में सब जीवन की बर्बादी की

गाल पे इक तिल देख के उन के सारे जिस्म से शादी की

बहन की इल्तिजा माँ की मोहब्बत साथ चलती है

वफ़ा-ए-दोस्ताँ बहर-ए-मशक़्कत साथ चलती है

अब इक रूमाल मेरे साथ का है

जो मेरी वालिदा के हाथ का है

एक लम्हा भी मसर्रत का बहुत होता है

लोग जीने का सलीक़ा ही कहाँ रखते हैं

हँस मगर हँसने से पहले सोच ले

ये हो फिर उम्र भर रोना पड़े

दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रानाई बहुत

ग़म-ए-हस्ती हमें दुनिया पसंद आई बहुत

उन का दरवाज़ा था मुझ से भी सिवा मुश्ताक़-ए-दीद

मैं ने बाहर खोलना चाहा तो वो अंदर खुला

जितना बढ़ता गया शुऊ'र-ए-हुनर

ख़ुद को उतना ही बे-हुनर जाना

ज़ाहिद ख़ुदी-फ़रोश तो वाइ'ज़ ख़ुदा-फ़रोश

दोनों बुज़ुर्ग मेरी नज़र से गुज़र गए

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