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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Wahshat Raza Ali Kalkatvi's Photo'

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

1881 - 1956 | कोलकाता, भारत

बंगाल के प्रमुख उत्तर – क्लासिकी शायर

बंगाल के प्रमुख उत्तर – क्लासिकी शायर

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

ग़ज़ल 49

अशआर 55

मज़ा आता अगर गुज़री हुई बातों का अफ़्साना

कहीं से तुम बयाँ करते कहीं से हम बयाँ करते

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ज़ालिम की तो आदत है सताता ही रहेगा

अपनी भी तबीअत है बहलती ही रहेगी

ज़मीं रोई हमारे हाल पर और आसमाँ रोया

हमारी बेकसी को देख कर सारा जहाँ रोया

कठिन है काम तो हिम्मत से काम ले दिल

बिगाड़ काम मुश्किल समझ के मुश्किल को

और इशरत की तमन्ना क्या करें

सामने तू हो तुझे देखा करें

रुबाई 3

 

पुस्तकें 9

 

ऑडियो 15

ऐ अहल-ए-वफ़ा ख़ाक बने काम तुम्हारा

कहते हो अब मिरे मज़लूम पे बेदाद न हो

चला जाता है कारवान-ए-नफ़स

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