वहशत कलकत्तवी, सय्यद रज़ा अ’ली (1981-1956) कलकत्ता में जन्म। उर्दू और फ़ारसी के शिक्षक रहे। ब्रिटिश हुकूमत से ‘ख़ान बहादुर’ की उपािध हासिल की। बटवारे के बा’द ढाका चले गए और वहीं आख़िरी साँस ली।मिर्ज़ा‘ ग़ालिब’ के अन्दाज़ में शे’र कहने के लिए जाने जाते हैं।