इल्म-ए-अरूज़
उर्दू शायरी के छंद-विधान के सिद्धांत
इल्म-ए-अरूज़ का संबंध किसी शेर का वज़्न और उसका मौज़ूँ (लय-बद्ध) होना, न होना मालूम करने से है। अरूज़ (छंद-विधान) के तहत शेरों के कुछ ख़ास वज़्न तय किए गए हैं जिनमें से हर वज़्न को बह़र कहा जाता है। हर बह़र कुछ विशेष हिस्सों से मिलकर बनती है जिन्हें अरकान (एकवचन-रूक्न) कहा जाता है। शेर का वज़्न जानने के लिए इन्हीं अरकान का इस्तेमाल किया जाता है। वज़्न जानने के लिए किसी शेर को उसके अरकान में तोड़ कर देखने को 'तक़्तीअ' कहते है।