वीडियो
शायरों,कलाकारों और लेखकों के वीडियो
रेख़्ता स्टूडियो समस्त
-
इरफ़ान सत्तार
-
फ़हद हुसैन
-
रहमान फ़ारिस
-
अंबरीन हसीब अंबर
-
फ़रहत एहसास
-
ज़िया मोहीउद्दीन
-
Basir Sultan Kazmi in conversation with Obaid Siddiqui at Rekhta Studio बासिर सुल्तान काज़मी
-
Pirzada Qasim in conversation with Dr. Zamarrud Mughal for Rekhta.org पीरज़ादा क़ासीम
-
Zara apne pairon se hawa ke jute utaar शबनम अशाई
-
Ye nashe aagahi khatarnak hai sar mein मोहम्मद आज़म
-
Talab karegi jaan aarzoo ki jaan aarzoo मोहम्मद आज़म
-
Subuk mujhko mohabbat mein मोहम्मद आज़म
-
Kuch garaz humko nahin hai ke kahan le jaaye मोहम्मद आज़म
-
Kamaan sonp ke dushman ko apne lashkar ki मोहम्मद आज़म
-
रेखा भारद्वाज
-
दूसरे दर्जे की पिछली क़तार का आदमी शकील आज़मी
-
झूटी मोहब्बत शकील आज़मी
-
परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है शकील आज़मी
-
यहाँ के रंग बड़े दिल-पज़ीर हुए हैं ऐन ताबिश
-
वही जुनूँ की सोख़्ता-जानी वही फ़ुसूँ अफ़्सानों का ऐन ताबिश
-
हयात-ए-सोख़्ता-सामाँ इक इस्तिअा'रा-ए-शाम ऐन ताबिश
-
आवारा भटकता रहा पैग़ाम किसी का ऐन ताबिश
-
आँसुओं के रतजगों से ऐन ताबिश
-
बदलने का कोई मौसम नहीं होता ऐन ताबिश
-
मेरी बेटी चलना सीख गई फ़ातिमा हसन
-
क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं फ़ातिमा हसन
-
ख़्वाब गिरवी रख दिए आँखों का सौदा कर दिया फ़ातिमा हसन
-
मिरी ज़मीं पे लगी आप के नगर में लगी फ़ातिमा हसन
-
मनाज़िर ख़ूब-सूरत हैं फ़ातिमा हसन
-
अच्छा लगता है फ़ातिमा हसन
शायरसमस्त
-
दस्तूर हबीब जालिब
-
अकेले हैं वो और झुँझला रहे हैं ख़ुमार बाराबंकवी
-
हम को जुनूँ क्या सिखलाते हो हम थे परेशाँ तुम से ज़ियादा मजरूह सुल्तानपुरी
-
अब भी तौहीन-ए-इताअत नहीं होगी हम से इफ़्तिख़ार आरिफ़
-
ज़िंदगी जैसी तवक़्क़ो' थी नहीं कुछ कम है शहरयार
-
शारिक़ कैफ़ी शारिक़ कैफ़ी
-
दुख फ़साना नहीं कि तुझ से कहें अहमद फ़राज़
-
एक ही आवाज़ पर वापस पलट आएँगे लोग किश्वर नाहीद
-
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए उबैदुल्लाह अलीम
-
यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो बशीर बद्र
-
फ़रहत एहसास फ़रहत एहसास
-
जब लगें ज़ख़्म तो क़ातिल को दुआ दी जाए जाँ निसार अख़्तर
-
वो भी सराहने लगे अर्बाब-ए-फ़न के बा'द कैफ़ी आज़मी
-
इक़बाल अशहर इक़बाल अशहर
-
इंटरनेट-स्थान की मलिका सरवत ज़ेहरा
-
नशात-ए-दर्द के मौसम में गर नमी कम है पी पी श्रीवास्तव रिंद
-
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया परवीन शाकिर
-
बहुत दिनों से मिरे बाम-ओ-दर का हिस्सा है ख़ुशबीर सिंह शाद
-
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद जिगर मुरादाबादी
-
Gulzar Dehlvi (Reciting poetry_Part 1) गुलज़ार देहलवी
-
Qatiil Shifai reading in a mushaira क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल गायकसमस्त
-
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है कैफ़ भोपाली
-
शमशीर-ए-बरहना माँग ग़ज़ब बालों की महक फिर वैसी ही बहादुर शाह ज़फ़र
-
तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
-
रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो मिर्ज़ा ग़ालिब
-
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो मोमिन ख़ाँ मोमिन
-
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
-
असर उस को ज़रा नहीं होता मोमिन ख़ाँ मोमिन
-
साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें दाग़ देहलवी
-
वही मेरी कम-नसीबी वही तेरी बे-नियाज़ी अल्लामा इक़बाल
-
हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके हफ़ीज़ जालंधरी
-
ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए दाग़ देहलवी
-
दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाए हाए मिर्ज़ा ग़ालिब
-
गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी मोहम्मद रफ़ी सौदा
-
'अजीब सानेहा मुझ पर गुज़र गया यारो शहरयार
-
नज़र-नवाज़ नज़ारों में जी नहीं लगता शकील बदायूनी
-
सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैं फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
-
दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें दाग़ देहलवी
-
तिरे ग़म को जाँ की तलाश थी तिरे जाँ-निसार चले गए फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
-
'इंशा'-जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या इब्न-ए-इंशा
-
जिसे इश्क़ का तीर कारी लगे वली मोहम्मद वली
-
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
-
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी फ़िराक़ गोरखपुरी
-
बादबाँ खुलने से पहले का इशारा देखना परवीन शाकिर
-
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है अकबर इलाहाबादी
-
तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
-
हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह मजरूह सुल्तानपुरी
-
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं मिर्ज़ा ग़ालिब
-
न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ मुज़्तर ख़ैराबादी
-
गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर अल्लामा इक़बाल
-
न गँवाओ नावक-ए-नीम-कश दिल-ए-रेज़ा-रेज़ा गँवा दिया फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
इंटरव्यू और डॉक्यूमेंट्री फिल्मेंसमस्त
-
इरफ़ान सत्तार
-
फ़हद हुसैन
-
रहमान फ़ारिस
-
अंबरीन हसीब अंबर
-
फ़रहत एहसास
-
ज़िया मोहीउद्दीन
-
Basir Sultan Kazmi in conversation with Obaid Siddiqui at Rekhta Studio बासिर सुल्तान काज़मी
-
Pirzada Qasim in conversation with Dr. Zamarrud Mughal for Rekhta.org पीरज़ादा क़ासीम
-
Zara apne pairon se hawa ke jute utaar शबनम अशाई
-
Ye nashe aagahi khatarnak hai sar mein मोहम्मद आज़म
-
Shamsur Rahman Farooqi - Interview for Rekhta.org शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
-
रू-ए-गुल चेहरा-ए-महताब नहीं देखते हैं अनीस अशफ़ाक़
-
ख़मोशी की गिरह खोले सर-ए-आवाज़ तक आए मुज़फ़्फ़र अबदाली
-
तक़दीर-ए-वफ़ा का फूट जाना इफ़्तिख़ार राग़िब
-
Munni Begum performing at Rekhta Studio. मुन्नी बेगम
-
Deveshi Sehgal देवेशी सहगल
-
Najma Rehmani नजमा रहमानी
-
मिर्ज़ा हामिद बेग मिर्ज़ा हामिद बेग
-
नासिर अब्बास नय्यर नासिर अब्बास नय्यर
-
Ludmila Vasilyeva लुडमिला वसिल्येवा
-
Julien Columeau ज़ुलियान कोलूमू
-
रंजीत चौहान रंजीत चौहान
-
राजेन्द्र नाथ रहबर राजेन्द्र नाथ रहबर
-
तहसीन फ़िराक़ी तहसीन फ़िराक़ी
-
रईस सिद्दीक़ी रईस सिद्दीक़ी
-
Gulzar Dehlvi (Interview_Part 3) गुलज़ार देहलवी
-
हुसैन माजिद हुसैन माजिद
-
तालिब ज़ैदी तालिब ज़ैदी
-
ख़ुर्शीद अकरम ख़ुर्शीद अकरम
-
Discussion among Nadeem Bhabha, Ali Yasir and Dr. Zamarrud Mughal for Rekhta.org विविध
फ़िल्मी ग़ज़लेंसमस्त
-
बंजारा-नामा Mukesh
-
Khuda ka shukr sahare baghair beet gai Anwar Shuoor
-
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं Gayatri Asokan
-
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया Kundan Lal Saigal
-
किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए Mohammad Rafi
-
आप की याद आती रही रात भर Chaya Ganguly
-
Shaam-e-gham ki qasam Talat Mahmood
-
मकान Kaifi Azmi
-
khaali haath shaam aayi hai Asha Bhosle
-
Ganga Jamuna Eid Milan Mushaira Munawwar Rana
-
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया Begum Akhtar
-
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है Suresh Wadekar
-
यूँ हसरतों के दाग़ मोहब्बत में धो लिए Lata Mangeshkar
-
दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है Anuradha Paudwal
-
Tumko dekhta to ye khayal aaya Jagjit Singh
-
ये दिल ये पागल दिल मिरा क्यूँ बुझ गया आवारगी Ghulam Ali
-
Phir chhidi raat baat phulon ki Talat Aziz
-
Zareef Jabalpuri
ज़िया मोहीउद्दीन वीडियोसमस्त
-
Mirza Rafi Sauda
-
Zia's Monologue
-
Intizar Hussain
-
"Shakespeare aur Main"
-
Wajid Ali Shah Akhtar
-
Ghalib aur Mein-Zia Mohyeddin
-
Josh Malihabadi
-
Allama Iqbal
-
Mushtaq Ahmad Yousufi
-
Zia reads Mir Taqi Mir
इल्म-ए-अरूज़समस्त
-
Lecture 1 Introduction
-
Lecture 10 Bahr-e-Mutadarik
-
Lecture 11 Bahr-e-Muzare
-
Lecture 12 Bahr-e-Mujtas
-
Lecture 13 Bahr-e-Munsarah
-
Lecture 14 Bahr-e-Muqtazib
-
Lecture 15 Bahr-e-Saree
-
Lecture 16 Bahr-e-Khafif
-
Lecture 17 Bahr-e-Qarib
-
Lecture 18 Bahr-e-Jadid
-
Lecture 19 Bahr-e-Mushakil
-
Lecture 2 Ahang ki mizaan urooz hai
-
Lecture 20 Bahr-e-Taweel
-
Lecture 21 Bahr-e-Madid
-
Lecture 22 Bahr-e-Baseet
-
Lecture 23 Qafiya aur Radeef
-
Lecture 24 Taqteeh
-
Lecture 25 Sher Goi
-
Lecture 3 Aroozi Arkan
-
Lecture 4 Bahr-e-Hazaj
-
Lecture 5 Bahr-e-Rajaz
-
Lecture 6 Bahr-e-Ramal
-
Lecture 7 Bahr-e-Kamil
-
Lecture 8 Bahr-e-Wafir
-
Lecture 9 Bahr-e-Mutaqarib