aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
क़दम क़दम कोई साया सा मुत्तसिल तो रहे
सराब का ये सर-ए-सिलसिला दराज़ तो हो
"मता-ए-इश्क़ ज़रा और सर्फ़-ए-नाज़ तो हो" ग़ज़ल से की गौहर होशियारपुरी
Join us for Rekhta Gujarati Utsav | 19th Jan 2025 | Bhavnagar
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