aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
ऐ दिल की ख़लिश चल यूँही सही चलता तो हूँ उन की महफ़िल में
उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए
"ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए" ग़ज़ल से की बहज़ाद लखनवी
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