aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
ग़म नैरंग दिखाता है हस्ती की जल्वा-नुमाई का
कितने ज़मानों का हासिल है इक लम्हा तन्हाई का
"ग़म नैरंग दिखाता है हस्ती की जल्वा-नुमाई का" ग़ज़ल से की क़ौसर जायसी
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