क़ौसर जायसी
ग़ज़ल 11
अशआर 10
कभी कभी सफ़र-ए-ज़िंदगी से रूठ के हम
तिरे ख़याल के साए में बैठ जाते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ग़म नैरंग दिखाता है हस्ती की जल्वा-नुमाई का
कितने ज़मानों का हासिल है इक लम्हा तन्हाई का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ये आरज़ू के सितारे ये इंतिज़ार के फूल
चमक रही हैं ख़ताएँ महक रहे हैं गुनाह
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
अपने ग़म की फ़िक्र न की इस दुनिया की ग़म-ख़्वारी में
बरसों हम ने दस्त-ए-जुनूँ से काम लिया दानाई का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तख़्लीक़ के पर्दे में सितम टूट रहे हैं
आज़र ही के हाथों से सनम टूट रहे हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए