क़ौसर जायसी
ग़ज़ल 11
अशआर 10
अपने ग़म की फ़िक्र न की इस दुनिया की ग़म-ख़्वारी में
बरसों हम ने दस्त-ए-जुनूँ से काम लिया दानाई का
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आओ हम हँसते उठें बज़्म-ए-दिल-आज़ाराँ से
कौन एहसास को बीमार बना कर उट्ठे
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ख़्वाब देखा था कहाँ चमकी है ताबीर कहाँ
हश्र का दिन मिरी फ़ितरत का उजाला निकला
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