aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
कोई महकार है ख़ुश्बू की न रंगों की लकीर
एक सहरा हूँ कहीं से भी गुज़र जा मुझ में
"टूटते जिस्म के महताब बिखर जा मुझ में" ग़ज़ल से की मुसव्विर सब्ज़वारी
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