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ब्लॉग1
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किश्वर नाहीद की बच्चों की कहानियाँ
अपनी मदद आप
एक आदमी गाड़ी में भूसा भर कर लिए जा रहा था। रास्ते में कीचड़ थी। गाड़ी कीचड़ में फंस गई। वो आदमी सर पकड़ कर बैठ गया और लगा चीख़ने, “ऐ प्यारी परियों, आओ और मेरी मदद करो। मैं अकेला हूँ, गाड़ी को कीचड़ से निकाल नहीं सकता।” ये सुनकर एक परी आई और बोली, “आओ
सोने की कुलहाड़ी
एक लकड़हारा था। वो लकड़ियाँ बेच कर अपना पेट पालता था। एक दिन लकड़हारे की कुलहाड़ी खो गई। उसके पास इतने पैसे न थे कि दूसरी कुलहाड़ी ख़रीद लेता। उसने सारे जंगल में कुलहाड़ी ढूँढी लेकिन कहीं न मिली। थक-हार कर वो रोने लगा। अचानक दरख़्तों के पीछे से एक जिन
शबनम का ताज
किसी बादशाह की सिर्फ़ एक ही बेटी थी। वो बहुत ज़िद्दी थी। एक दिन सुबह को वो बाग़ में टहलने के लिए गई तो उसने फूल-पत्तियों पर शबनम के क़तरे चमकते हुए देखे। शबनम के ये क़तरे उन हीरों से ज़्यादा चमकदार और ख़ूबसूरत थे जो शहज़ादी के पास थे। शहज़ादी सीधी महल