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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अबरार किरतपुरी

1939 - 2022 | दिल्ली, भारत

हम्द और ना’त के अहम शायर

हम्द और ना’त के अहम शायर

अबरार किरतपुरी के शेर

ग़म से निस्बत है जिन्हें ज़ब्त-ए-अलम करते हैं

अश्क को ज़ीनत-ए-दामाँ नहीं होने देते

हर इक इंसान के आमाल भी यकसाँ नहीं होते

कोई घर तोड़ देता है कोई तामीर करता है

वसवसे दिल में रख ख़ौफ़-ए-रसन ले के चल

अज़्म-ए-मंज़िल है तो हम-राह थकन ले के चल

कहीं भी राह-नुमा अब नज़र नहीं आता

मैं क्या बताऊँ कि हूँ कौन सी जिहात में गुम

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