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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Afzal Parvez's Photo'

अफ़ज़ल परवेज़

शायर, पत्रकार और नाटककार, लोकमंच और लोकगीतों पर अपनी किताबों के लिए प्रसिद्ध

शायर, पत्रकार और नाटककार, लोकमंच और लोकगीतों पर अपनी किताबों के लिए प्रसिद्ध

अफ़ज़ल परवेज़ के शेर

अलख जमाए धूनी रमाए ध्यान लगाए रहते हैं

प्यार हमारा मस्लक है हम प्रेम-गुरु के चेले हैं

अपना घर शहर-ए-ख़मोशाँ सा है

कौन आएगा यहाँ शाम ढले

तुम उन को सज़ा क्यूँ नहीं देते कि जिन्हों ने

मुजरिम का ज़मीर और सुकूँ लूट लिया है

हर मुसाफ़िर तिरे कूचे को चला

उस तरफ़ छाँव घनी हो जैसे

मैं तो अपनी जान पे खेल के प्यार की बाज़ी जीत गया

क़ातिल हार गए जो अब तक ख़ून के छींटे धोते हैं

हुस्न की दौलत उस की है और वस्ल की इशरत भी उस की

जिस ने पल पल हिज्र में काटा जौर सहे दुख झेले हैं

कारज़ार-ए-इश्क़-ओ-सर-मस्ती में नुसरत-याब हों

वो जुनूनी दार तक जाने को जो बेताब हूँ

दर-ओ-दीवार भी होते हैं जासूस

कोई सुनता हो आहिस्ता बोलो

बाज़ीगाह-ए-दार-ओ-रसन में मय-कदा-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न में

हम रिंदों से रौनक़ है हम दरवेशों से मेले हैं

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