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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अहमद अल्वी

1956 | दिल्ली, भारत

हास्य-व्यंग्य के मशहूर शायर

हास्य-व्यंग्य के मशहूर शायर

अहमद अल्वी के शेर

सुना ये है बना करते हैं जोड़े आसमानों पर

तो ये समझें कि हर बीवी बला-ए-आसमानी है

अल्फ़ाज़ की अदाएगी तर्ज़-ए-बयान सीख

करना अगर है इश्क़ तो उर्दू ज़बान सीख

दो सगी बहनों की दो गंजों से शादी हो गई

और ये बे-ज़ुल्फ़ भी हम-ज़ुल्फ़ कहलाने लगे

दिल को किसी की याद से ख़ाली कीजिए

आसेब रहने लगते हैं ख़ाली मकान में

मोहब्बतों में तो कुछ भी पता नहीं लगता

बहुत बुरा है वो फिर भी बुरा नहीं लगता

त'अल्लुक़ात भी रेशम की तरह होते हैं

उलझ गए तो सिरा उम्र भर नहीं मिलता

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