- पुस्तक सूची 187529
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
गतिविधियाँ35
बाल-साहित्य2034
जीवन शैली23 औषधि1008 आंदोलन298 नॉवेल / उपन्यास4982 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी14
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर69
- दीवान1483
- दोहा51
- महा-काव्य106
- व्याख्या206
- गीत62
- ग़ज़ल1275
- हाइकु12
- हम्द51
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1627
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात706
- माहिया19
- काव्य संग्रह5197
- मर्सिया395
- मसनवी864
- मुसद्दस58
- नात589
- नज़्म1291
- अन्य77
- पहेली16
- क़सीदा193
- क़व्वाली18
- क़ित'अ70
- रुबाई304
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम35
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त27
अख़्तर हुसैन रायपुरी की कहानियाँ
जिस्म की पुकार
असलम की आँख देर से खुल चुकी थी लेकिन वो दम साधे हुए बिस्तर पर पड़ा रहा। कमरे के अंदर भी उतना अंधेरा न था जितना कि बाहर। क्यों कि दुनिया कुहासे के काफ़ुरी कफ़न में लिपटी हुई थी ताहम इक्का दुक्का कव्वे की चीख़ पुकार और बर्फ़ पर रेंगती हुई गाड़ियों की मसोसी
ज़बान-ए-बे-ज़बानी
मैं बरगद का एक उम्र-रसीदा दरख़्त हूँ, ग़ैर-फ़ानी और अबदी! न जाने कितनी मुद्दत से मैं तन-ए-तन्हा और ख़ामोश खड़ा हूँ। बर-क़रार न बे-क़रार! बे-ज़बान और नग़्मा ज़न! याद नहीं कितनी मर्तबा कड़कड़ाती सर्दियों में अपनी बे-बर्ग शाख़ों से कोहासा की चादर हटा
मुझे जाने दो
"मुझे जाने दो" उसने कहा और जब तक मैं उसे रोकूँ वो हाथ छुड़ा कर जा चुकी थी। अँधेरे में उसकी आँखों की एक झपक और दहलीज़ पर पाँव के बिछुए की एक झनक सुनाई दी। वो चली गई और मैं कोठड़ी में अकेला रह गया। मैं वहाँ जाना न चाहता था। मैं अक्सर उस मकान के आगे
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
-
गतिविधियाँ35
बाल-साहित्य2034
-