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बशीर बद्र के क़िस्से
राहत का रंग
मऊनाथ भंजन में मुशायरा हो रहा था। बशीर बद्र निज़ामत कर रहे थे। राहत इंदौरी जिनका रंग गहरा सांवला सलोना है, उनकी सरमस्ती का दौर था, माइक पर आते ही बोले, “हज़रात! मैं कल से बहुत ख़ुश हूँ। दरअसल अपने रंग की वजह से शर्मिंदा-शर्मिंदा रहता था। लेकिन बाबू
कुंवर की दो आँखें
नैनीताल क्लब में मुशायरा हो रहा था और निज़ामत कर रहे थे जनाब कँवर महिन्द्र सिंह बेदी सहर। मुशायरे के इख्तिताम पर जब बशीर बद्र और वसीम बरेलवी पढ़ने के लिए बाक़ी रह गए तो उन्होंने अपनी मुहब्बत का इज़हार किया, “ये मेरी दोनों आँखें हैं। मैं किस को पहले बुलाऊँ
शायरी के तारा मसीह और अमरोहा के भुट्टो
अमरोहा में मुशायरा बहुत सुकून से चल रहा था। शायर भी मुतमइन और सुनने वाले भी ख़ुश कि बीच मजमे से एक बहुत मा’क़ूल शख़्सियत वाले साहब उठे और खड़े हो कर आदिल लखनवी की तरफ़ इशारा करके बोले, “डाक्टर साहब, वो शायर जिनकी सूरत तारा मसीह (जिस जल्लाद ने वज़ीर-ए-आज़म