Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

फ़रहान सालिम के शेर

492
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

अब उस मक़ाम पे है मौसमों का सर्द मिज़ाज

कि दिल सुलगने लगे और दिमाग़ जलने लगे

है मेरी आँखों में अक्स-ए-नविश्ता-ए-दीवार

समझ सको तो मिरा नुत्क़-ए-बे-ए-ज़बाँ ले लो

हौसला सब ने बढ़ाया है मिरे मुंसिफ़ का

तुम भी इनआम कोई मेरी सज़ा पर लिख दो

अब मुझ से सँभलती नहीं ये दर्द की सौग़ात

ले तुझ को मुबारक हो सँभाल अपनी ये दुनिया

यूँ भी किया है हम ने हक़-ए-दिलबरी अदा

अपनी ही जीत अपने ही हाथों से हार दी

उन्हें गुमाँ कि मुझे उन से रब्त है 'सालिम'

मुझे ये वहम उन्हें इल्तिफ़ात है शायद

हूँ वारदात का ऐनी गवाह मैं मुझ से

ये मेरी मौत से पहले मिरा बयाँ ले लो

मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है शायद

दिल-ए-शिकस्ता मिरी काएनात है शायद

अक्स कुछ बदलेगा आइनों को धोने से

आज़री नहीं आती पत्थरों पे रोने से

आम है इज़्न कि जो चाहो हवा पर लिख दो

इश्क़ ज़िंदा है ज़रा दस्त-ए-सबा पर लिख दो

हैं इन में बंद किसी अहद-ए-रस्त-ख़ेज़ के अक्स

ये मेरी आँखें अजाइब-घरों में रख आना

शौक़-ए-बेहद ने किसी गाम ठहरने दिया

वर्ना किस गाम मिरा ख़ून-ए-तमन्ना हुआ

तुझे ख़बर ही नहीं है ये क़िस्सा-ए-कोताह

जहाँ पे बुत गिरे कब वहाँ हरम उतरा

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए