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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

1913 - 1989

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी के शेर

शहर की भीड़ में शामिल है अकेला-पन भी

आज हर ज़ेहन है तन्हाई का मारा देखो

माँगो समुंदरों से साहिल की भीक तुम

हाँ फ़िक्र फ़न के वास्ते गहराई माँग लो

मौसम का ज़ुल्म सहते हैं किस ख़ामुशी के साथ

तुम पत्थरों से तर्ज़-ए-शकेबाई माँग लो

हम को इस की क्या ख़बर गुलशन का गुलशन जल गया

हम तो अपना सिर्फ़ अपना आशियाँ देखा किए

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