इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी के शेर
सरहद-ए-जाँ तलक क़लम-रौ दिल
इस से आगे निज़ाम दर्द का है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जब साया भी शीशे की तरह टूट गया
दीवार ने देखा ये तमाशा न कभी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बंद आँखों में सारा तमाशा देख रहा था
रस्ता रस्ता मेरा रस्ता देख रहा था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रोता है कोई किसी के ग़म में
सब अपने ही दुख बिचारते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं नहीं मिलता किसी से
बंद फाटक बोलता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड