जमील अज़ीमाबादी के शेर
कुंज-ए-क़फ़स ही जिस का मुक़द्दर हुआ 'जमील'
उस की नज़र में दौर-ए-ख़िज़ाँ क्या बहार क्या
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जंगल जंगल आग लगी है दरिया दरिया पानी है
नगरी नगरी थाह नहीं है लोग बहुत घबराए हैं