- पुस्तक सूची 184676
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1921
औषधि873 आंदोलन290 नॉवेल / उपन्यास4304 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी11
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर64
- दीवान1432
- दोहा64
- महा-काव्य98
- व्याख्या182
- गीत81
- ग़ज़ल1082
- हाइकु12
- हम्द44
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1540
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात672
- माहिया19
- काव्य संग्रह4834
- मर्सिया374
- मसनवी815
- मुसद्दस57
- नात534
- नज़्म1194
- अन्य68
- पहेली16
- क़सीदा179
- क़व्वाली19
- क़ित'अ60
- रुबाई290
- मुख़म्मस17
- रेख़्ती12
- शेष-रचनाएं27
- सलाम33
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई28
- अनुवाद73
- वासोख़्त26
महेनद्र नाथ की कहानियाँ
दी ब्लू प्रिंट
यह एक ऐसे नौजवान आर्टिस्ट की कहानी है, जो अपने ख़्वाबों का घर और उसमें बसर होने वाली अपनी ज़िंदगी का एक ख़ाका तैयार करता है। हालाँकि नौजवान आर्टिस्ट उस ख़ाके के मुक़म्मल होने से पहले ही मर जाता है। उस ख़ाके में उसने अपने सपने के घर और ज़िंदगी की हर छोटी-छोटी चीज़ों पर ध्यान दिया था, साथ ही उनपर ख़र्च़ होने वाली रक़म का भी इंदराज था।
चाय की प्याली
एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जो एक औरत के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहता है। इस रिश्ते में रहते हुए उन्हें 12 साल हो गए हैं। इस दरमियान उनके यहाँ तीन बच्चे भी हो गए। इतने अरसे में उसकी साथी ने उसे कभी भी शिकायत का कोई मौक़ा नहीं दिया। मगर घर वालों की नसीहतों, रिश्तेदारों के तानों और पड़ोसियों की चिक-चिक से परेशान होकर वे दोनों शादी कर लेते हैं। शादी होते ही उसकी बीवी के रवैये में ऐसी तब्दीली आती है कि उसकी आँखें खुली की खुली रह जाती हैं।
चाँदी के तार
यह एक ऐसे लड़के की कहानी है, जो अपनी माशूक़ा की किसी और से शादी हो जाने के बाद उसे ख़त लिखता है। उस ख़त में वह उसे हर उस बात का जवाब देता है, जो उसने उससे कभी पूछा भी नहीं था। एक ज़माना वह भी था जब वह उससे टूट कर मोहब्बत करती थी मगर वह नज़र-अंदाज़ कर देता था। उनकी शादी की बात भी चली थी और उसने इंकार कर दिया था।
दो बैल
यह एक बूढ़े मज़दूर की कहानी है, जो बीस दिनों से बीमार है। बीमारी की वजह से वह अपने इकलौते बैल की भी देखभाल नहीं कर पाता है। उसी की तरह उसका बैल भी दो दिन से भूखा है। घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं है। इसलिए आराम किए बिना ही वह काम पर निकल पड़ता है। सारा दिन घूमकर उसे एक मज़दूरी मिलती है। रिश्वत की लालच में एक थानेदार उसे पकड़ लेता है और उसका बैल भी छीन लेता है।
मम्मी
यह एक ऐसी बूढ़ी अंग्रेज़ औरत की कहानी है, जो हिंदुस्तान में रहते हुए लड़कियाँ सप्लाई करने का धंधा करती है। साथ ही उसे हिंदुस्तानियों से सख़्त नफ़रत भी है। उसके ग्राहकों में एक नौजवान भी शामिल है जो उसे मम्मी कहता है। मम्मी भी उसे बहुत चाहती है। नौजवान के लिए मम्मी की यह चाहत पलक झपकते ही जिंसी हवस में बदल जाती है और वह उसकी बाँहों में समा जाती है।
लीजिए हमने फिर इश्क़ किया
एक बूढ़े शख़्स की कहानी, जिसने अपनी ज़िंदगी में बहुत सी औरतों से इश्क़़ किया था। अब उसे एक बार फिर इश्क़़ हो जाता है। जब वह उस औरत से ऊब जाता है तो वह उससे पीछा छुड़ाना चाहता है। उस औरत के सामने जब वह कोई ऐसा उज़्र पेश करता है तो वह उसका पूरी बेबाक़ी से जवाब देती है। बेबस होकर वह बूढ़ा शख़्स उसके ख़तों के जवाब देना ही बंद कर देता है।
हिनाई उंगलियाँ
एक ऐसे शख़्स की कहानी, जिसे अपनी कालू-कलूटी बीवी बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मगर उसे उसकी हिनाई उंगलियाँ बहुत पसंद हैं। उन उंगलियों को हर तरह से महफ़ूज़ रखने के लिए वह अपनी बूढ़ी माँ से भी काम कराने से बाज़ नहीं आता है। इसके बाद भी वह तवाएफ़ों के कोठों और यारों की महफ़िलों में हमेशा जाता रहता है।
ज़िंदगी चाँद सी औरत के सिवा कुछ भी नहीं
दो दोस्तों की कहानी, जिन्हें सड़क पर घूमते हुए दो पारसी लड़कियाँ मिल जाती है। दोनों उन्हें कार में बैठाकर यहाँ वहाँ घूमाते हैं। उनके साथ खाना खाते हैं, फ़िल्में देखते हैं। जब वे उनके साथ प्यार करने की शुरुआत करते हैं तभी वे उन्हें झिड़क देती हैं। लेकिन जाते वक़्त वे उनसे पैसे ज़रूर माँगती हैं। शुरू में दोनों दोस्त समझते हैं कि वे शरीफ़ घरों की लड़कियाँ हैं, बाद में उन्हें पता चलता है कि वे वेश्या हैं।
तूफ़ान के बाद
एक ऐसी लड़की की कहानी, जो न चाहते हुए भी एक ऐसे लड़के से मोहब्बत कर बैठती है जिसके बारे में उसने कभी सोचा नहीं था। और उसने महज़ उससे मोहब्बत ही नहीं की थी बल्कि उसके साथ रात भी बिताई थी। फिर लड़के ने उससे मिलने से इंकार कर दिया और वह किसी दूसरे लड़के के साथ भाग गई। जब वह लड़का भी उसे छोड़ गया, तो वह अपने पहले आशिक़ को ख़त लिखती है और उस ख़त में उसके बारे में अपनी हर सोच और अपनी ज़िंदगी के अजीब-ओ-ग़रीब वाक़िआत का भी ज़िक्र करती है।
डेढ़ रुपया
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जो नस्लीय बरतरी में यक़ीन करता है। वह हर किसी को हक़ीर समझता है और मेहनत-मज़दूरी करने वाले लोगों से नफ़रत करता है। उसकी बिल्डिंग में सफ़ाई करने वाला एक भंगी होता है, जिसे वह नाली की छन्नी लाने के लिए डेढ़ रूपया देता है। किसी वजह वह भंगी छन्नी नहीं ला पाता है, तो वह शख़्स उसे सब लोगों के सामने ज़लील करता है। अगले दिन भंगी उसे डेढ़ रूपया लौटा देता है तो उसे उस डेढ़ रूपये से भी कराहत होने लगती है।
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य1921
-