- पुस्तक सूची 185952
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1801
औषधि614 आंदोलन261 नॉवेल / उपन्यास3774 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी12
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर62
- दीवान1349
- दोहा64
- महा-काव्य94
- व्याख्या150
- गीत89
- ग़ज़ल821
- हाइकु11
- हम्द34
- हास्य-व्यंग41
- संकलन1433
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात650
- माहिया18
- काव्य संग्रह4119
- मर्सिया344
- मसनवी712
- मुसद्दस47
- नात456
- नज़्म1070
- अन्य57
- पहेली17
- क़सीदा153
- क़व्वाली19
- क़ित'अ53
- रुबाई268
- मुख़म्मस18
- रेख़्ती16
- शेष-रचनाएं27
- सलाम29
- सेहरा8
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई20
- अनुवाद78
- वासोख़्त24
माहिर-उल क़ादरी
लेख 4
अशआर 10
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है
दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
इक बार तुझे अक़्ल ने चाहा था भुलाना
सौ बार जुनूँ ने तिरी तस्वीर दिखा दी
व्याख्या
इस शे’र में इश्क़ की घटना को अक़्ल और जुनूँ के पैमानों में तौलने का पहलू बहुत दिलचस्प है। इश्क़ के मामले में अक़्ल और उन्माद का द्वंद शाश्वत है। जहाँ अक़्ल इश्क़ को मानव जीवन के लिए हानि का एक कारण मानती है वहीं उन्माद इश्क़ को मानव जीवन का सार मानती है।और अगर इश्क़ में उन्माद पर अक़्ल हावी हो गया तो इश्क़ इश्क़ नहीं रहता क्योंकि इश्क़ की पहली शर्त जुनून है। और जुनून का ठिकाना दिल है। इसलिए अगर आशिक़ दिल के बजाय अक़्ल की सुने तो वो अपने उद्देश्य में कभी कामयाब नहीं होगा।
शायर कहना चाहता है कि मैं अपने महबूब के इश्क़ में इस क़दर मजनूं हो गया हूँ कि उसे भुलाने के लिए अक़्ल ने एक बार ठान ली थी मगर मेरे इश्क़ के जुनून ने मुझे सौ बार अपने महबूब की तस्वीर दिखा दी। “तस्वीर दिखा” भी ख़ूब है। क्योंकि उन्माद की स्थिति में इंसान एक ऐसी स्थिति से दो-चार होजाता है जब उसकी आँखों के सामने कुछ ऐसी चीज़ें दिखाई देती हैं जो यद्यपि वहाँ मौजूद नहीं होती हैं मगर इस तरह के जुनून में मुब्तला इंसान उन्हें हक़ीक़त समझता है। शे’र अपनी स्थिति की दृष्टि से बहुत दिलचस्प है।
शफ़क़ सुपुरी
ग़ज़ल 17
नज़्म 2
नअत 3
क़ितआ 4
पुस्तकें 309
चित्र शायरी 2
वीडियो 11
ऑडियो 9
अगर फ़ितरत का हर अंदाज़ बेबाकाना हो जाए
अभी दश्त-ए-कर्बला में है बुलंद ये तराना
ऐ निगाह-ए-दोस्त ये क्या हो गया क्या कर दिया
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
GET YOUR PASS
-
बाल-साहित्य1801
-