एक मैं हूँ और दस्तक कितने दरवाज़ों पे दूँ
कितनी दहलीज़ों पे सज्दा एक पेशानी करे
महताब हैदर नक़वी एक मशहूर समकालीन उर्दू शायर हैं, जिनकी शायरी में ख़ास तौर पर ग़ज़ल में आधुनिक बल्कि कहना चाहिए समकालीन विषयों पर काफ़ी लिखा गया है। उनका लेखन मोहब्बत, दुःख और समाज की समस्याओं को गहरे तरीक़े से पेश करता है। नक़वी की शायरी पारंपरिक उर्दू शायरी के विषयों को आधुनिक सोच और भावनाओं के साथ जोड़ती है।
उनकी शायरी सरल, प्रभावशाली, दिलचस्प और दिल को छूने वाली होती है। वह उर्दू साहित्य के एक महत्वपूर्ण शायर माने जाते हैं और उनकी ग़ज़लों ने नई पीढ़ी को प्रेरित किया है। उनके शायरी में शास्त्रीय और आधुनिक दोनों शैलियों का अच्छा मिश्रण देखने को मिलता है।