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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Mansoor Khushtar's Photo'

मंसूर ख़ुशतर

1986 | दरभंगा, भारत

मंसूर ख़ुशतर के शेर

नाज़-ओ-अंदाज़ की क़ीमत है तिरे मेरे सबब

किस की महफ़िल में भला और ग़ज़ब ढाओगे

तवज्जोह आप फ़रमाएँ अगर तो

कुछ हम भी अर्ज़ करना चाहते हैं

यक़ीं कर कि मैं तुझ से भी ज़ियादा चाहता उस को

जो मेरे जैसा तेरा और कोई क़द्र-दाँ होता

था जो इक काफ़िर मुसलमाँ हो गया

पल में वीराना गुलिस्ताँ हो गया

तिरे जौर-ओ-जफ़ा का हम कभी शिकवा नहीं करते

मोहब्बत जिस से करते हैं उसे रुस्वा नहीं करते

जो कभी दीवार पे लटकाई थी

अब तिरे कमरे की ज़ीनत भी नहीं

किसी से सरगुज़िश्त-ए-ग़म बयाँ करता हूँ जब अपनी

कहानी वो सरासर आप की मालूम होती है

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