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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Maya Khanna Raje Barelvi's Photo'

माया खन्ना राजे बरेलवी

1942 | लखनऊ, भारत

माया खन्ना राजे बरेलवी के शेर

इक अश्क-ए-नदामत से धुल जाते सभी इस्याँ

इक अश्क-ए-नदामत तक पहुँचा ही नहीं कोई

हर शय से हो के क्यों रहे बे-नियाज़ वो

हर शय जहाँ में जिस को तमाशा दिखाई दे

मज़ाक़-ए-ख़ुद-परस्ती एक कमज़ोरी है इंसाँ की

बयाँ कर के हक़ीक़त ये उठाया है ज़ियाँ हम ने

नज़र करता नहीं नश्शा-लबों पर

कि जिस के हाथ पैमाने लगे हैं

जो कह रहे थे ख़ून से सींचेंगे गुल्सिताँ

वो हामियान-ए-फ़स्ल-ए-बहाराँ किधर गए

वो और होंगे जिन को है फ़िक्र-ए-ज़ियान-ओ-सूद

दुनिया से बे-नियाज़ है मेरी ग़ज़ल का रंग

जो लोग रहे हैं तुम्हारे क़रीब-तर

मुड़ कर वो सू-ए-शाम-ओ-सहर देखते नहीं

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