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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Musharraf Alam Zauqi

1962 - 2021 | Delhi, India

Postmodernist fiction writer, author of stories on sensitive social and political issues.

Postmodernist fiction writer, author of stories on sensitive social and political issues.

Quotes of Musharraf Alam Zauqi

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मुझे उन लोगों पर रश्क आता है जो सिर्फ नए नए किरदार ही नहीं गढ़ते बल्कि अपने किरदारों के बारे में इस तरह की बातें करते हैं जैसे वो महज़ फ़र्ज़ी किरदार ना हों बल्कि चलते-फिरते आदमी हों, ज़िंदा मख़्लूक़ हों।

मैं पैदाइशी अदीब हूँ, अदब के इलावा कुछ और सोच भी नहीं सकता।

सच्ची ख़ुशी हमेशा लिखने से होती है। मैं हर नई तख़लीक़ पर बच्चों की तरह ख़ुश हो जाता हूँ

मैं वो शख़्स हूँ जिसने अपनी ज़िंदगी का हर दिन अदब की आग़ोश में गुज़ारा है।

मैं मंज़िलों की परवाह नहीं करता, मेरी हर तख़लीक़ मेरे लिए एक नई मंज़िल है।

سگریٹ اور چایے! میں ان دو بری عادتوں کا غلام ہوں۔

अदब मेरे लिए ज़िंदगी से ज़्यादा अहम है।

ये कायनात बेहद हसीन है मगर उनके लिए जो जीना जानते हैं।

मुहब्बत मेरी कमज़ोरी है, नशा है।

उर्दू ज़बान-ओ-अदब ने मुझे जीने का सलीक़ा सिखाया है।

इन्'आम-ओ-एज़ाज़ मुझे ख़ुश नहीं करते और ना इस बारे में मैं सोचता हूँ और ना ही मुझे इनकी ज़रूरत है।

बीवी से बड़ी नायिका या हीरोइन कोई नहीं है। फिर आप दूसरी औरतों के सामने तो रूमानी हो सकते हैं बीवी के सामने क्यों नहीं?!

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