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उबैद सिद्दीक़ी

1957 - 2020 | दिल्ली, भारत

मा-बाद जदीद नस्ल के नुमायाँ तरीन शायरों में से एक, जो क्लासिकी इज़हार और जदीद हिस्सियत के इम्तिज़ाज के लिए मशहूर हैं, बी.बी.सी. उर्दू सर्विस से वाबस्ता रहे, एम.सी.आर.सी. जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली के डायरेक्टर भी रहे

मा-बाद जदीद नस्ल के नुमायाँ तरीन शायरों में से एक, जो क्लासिकी इज़हार और जदीद हिस्सियत के इम्तिज़ाज के लिए मशहूर हैं, बी.बी.सी. उर्दू सर्विस से वाबस्ता रहे, एम.सी.आर.सी. जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली के डायरेक्टर भी रहे

उबैद सिद्दीक़ी के शेर

उदासी आज भी वैसी है जैसे पहले थी

मकीं बदलते रहे हैं मकाँ नहीं बदला

मैं पहले बे-बाक हुआ था जोश-ए-मोहब्बत में

मेरी तरह फिर उस ने भी शरमाना छोड़ा था

गर्मी सी ये गर्मी है

माँग रहे हैं लोग पनाह

मैं बस ये कह रहा हूँ रस्म-ए-वफ़ा जहाँ में

बिल्कुल नहीं मिटी है कमयाब हो गई है

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