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Short Stories of Premchand
Poos Ki Raat
किसानी जीवन की दुर्बलता और सबलता की यथार्थता को बयान करती हुई कहानी है ‘पूस की रात’। एक किसान, जो दिन-रात कड़ी मेहनत करता है और पाई-पाई बचा कर रखता है तो भी अपने लिए सर्दी से बचने के लिए एक कंबल तक हासिल नहीं कर पाता है। वह इतना कमज़ोर है कि परिस्थितियों की दबाव के कारण नील गायों से अपनी फ़स्ल की रक्षा भी नहीं कर पाता। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से किसान की विवशता के लिए ज़िम्मेदार शक्तियों के ऊपर तीखा व्यंग्य किया है।
Be-gharaz Mohsin
मेले की नुमाइश के दौरान जब रेवती का बेटा सागर में गिर गया तो तख़्त सिंह ने ही दौड़कर उसे निकाला था। फिर बिना परिचय के ही वहाँ से चला गया। बेटा जवान हुआ तो उसने तख़्त सिंह का गाँव ख़रीद लिया। पूरा गाँव उसके सामने झुका। लेकिन तख़्त सिंह ने झुकने से इंकार कर दिया। इसके बाद उसने तख़्त सिंह पर हर तरह के ज़ुल्म ढ़ाए, मगर तख़्त सिंह ने कभी अपने उस एहसान का ज़िक्र नहीं किया।
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