- पुस्तक सूची 179825
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1857
औषधि763 आंदोलन278 नॉवेल / उपन्यास3970 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी11
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर62
- दीवान1371
- दोहा65
- महा-काव्य98
- व्याख्या171
- गीत85
- ग़ज़ल900
- हाइकु12
- हम्द35
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1478
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात633
- माहिया18
- काव्य संग्रह4377
- मर्सिया353
- मसनवी755
- मुसद्दस50
- नात486
- नज़्म1110
- अन्य61
- पहेली16
- क़सीदा173
- क़व्वाली19
- क़ित'अ54
- रुबाई270
- मुख़म्मस18
- रेख़्ती12
- शेष-रचनाएं27
- सलाम32
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई24
- अनुवाद73
- वासोख़्त24
राही मासूम रज़ा
लेख 1
अशआर 5
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
दिल की खेती सूख रही है कैसी ये बरसात हुई
ख़्वाबों के बादल आते हैं लेकिन आग बरसती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ज़िंदगी ढूँढ ले तू भी किसी दीवाने को
उस के गेसू तो मिरे प्यार ने सुलझाए हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ग़ज़ल 11
नज़्म 16
पुस्तकें 16
चित्र शायरी 9
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँद अपनी रात की छत पर कितना तन्हा होगा चाँद जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात उन आँखों में आँसू का इक क़तरा होगा चाँद रात ने ऐसा पेँच लगाया टूटी हाथ से डोर आँगन वाले नीम में जा कर अटका होगा चाँद चाँद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीते मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद
हम क्या जानें क़िस्सा क्या है हम ठहरे दीवाने लोग उस बस्ती के बाज़ारों में रोज़ कहें अफ़्साने लोग यादों से बचना मुश्किल है उन को कैसे समझाएँ हिज्र के इस सहरा तक हम को आते हैं समझाने लोग कौन ये जाने दीवाने पर कैसी सख़्त गुज़रती है आपस में कुछ कह कर हँसते हैं जाने पहचाने लोग फिर सहरा से डर लगता है फिर शहरों की याद आई फिर शायद आने वाले हैं ज़ंजीरें पहनाने लोग हम तो दिल की वीरानी भी दिखलाते शरमाते हैं हम को दिखलाने आते हैं ज़ेहनों के वीराने लोग उस महफ़िल में प्यास की इज़्ज़त करने वाला होगा कौन जिस महफ़िल में तोड़ रहे हों आँखों से पैमाने लोग
आओ वापस चलें रात के रास्ते पर वहाँ नींद की बस्तियाँ थीं जहाँ ख़ाक छानीं कोई ख़्वाब ढूँडें कि सूरज के रस्ते का रख़्त-ए-सफ़र ख़्वाब है और इस दिन के बाज़ार में कल तलक ख़्वाब कमयाब था आज नायाब है
वीडियो 5
This video is playing from YouTubejoin rekhta family!
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
Get Tickets
-
बाल-साहित्य1857
-