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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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राम रियाज़

1933 - 1990 | पाकिस्तान

पाकिस्तान के मारूफ़ शायर

पाकिस्तान के मारूफ़ शायर

राम रियाज़ के शेर

आँसू जो बहें सुर्ख़ तो हो जाती हैं आँखें

दिल ऐसा सुलगता है धुआँ तक नहीं आता

हम ओस के क़तरे हैं कि बिखरे हुए मोती

धोका नज़र आए तो हमें रोल के देखो

ज़िंदगी तो सपना है कौन 'राम' अपना है

क्या किसी को दुख देना क्या किसी का ग़म करना

तिरे इंतिज़ार में इस तरह मिरा अहद-ए-शौक़ गुज़र गया

सर-ए-शाम जैसे बिसात-ए-दिल कोई ख़स्ता-हाल समेट ले

जो तेरे ग़म में जले हैं वो फिर बुझे ही नहीं

जब इन की राख कुरेदो शरारे ज़िंदा हैं

अब कहाँ वो पहली सी फ़ुर्सतें मयस्सर हैं

सारा दिन सफ़र करना सारी रात ग़म करना

ज़िंदगी कशमकश-ए-वक़्त में गुज़री अपनी

दिन ने जीने दिया रात ने मरने दिया

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