सफ़दर मिर्ज़ापुरी के शेर
घर तो क्या घर का निशाँ भी नहीं बाक़ी 'सफ़दर'
अब वतन में कभी जाएँगे तो मेहमाँ होंगे
-
टैग : हिजरत
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क़िस्मतों से मिला है दर्द हमें
कहीं आराम-ए-दिल न हो जाए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इक निगाह-ए-ग़लत-अंदाज़ सही
दिल की आख़िर कोई क़ीमत होगी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जौर-ए-अफ़्लाक की शिरकत की ज़रूरत क्या है
आप काफ़ी हैं ज़माने को सताने के लिए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क़ीमत-ए-जिंस-ए-वफ़ा नीम-निगाही तौबा
ऐसी बातें न करें आप कि सौदा न बने
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ज़रा वो ख़ाक में मिलने न दे ख़ून-ए-शहीदाँ को
ख़ुदा तौफ़ीक़ दे इतनी ज़मीन-ए-कू-ए-जानाँ को
-
टैग : शहीद
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड