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jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Sahir Hoshiyarpuri's Photo'

साहिर होशियारपुरी

1913 - 1972 | फरीदाबाद, भारत

साहिर होशियारपुरी के शेर

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जब बिगड़ते हैं बात बात पे वो

वस्ल के दिन क़रीब होते हैं

हम को अग़्यार का गिला क्या है

ज़ख़्म खाएँ हैं हम ने यारों से

कौन कहता है मोहब्बत की ज़बाँ होती है

ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है

फिर किसी बेवफ़ा की याद आई

फिर किसी ने लिया वफ़ा का नाम

तुम तौबा करो जफ़ाओं से

हम वफ़ाओं से तौबा करते हैं

आख़िर तड़प तड़प के ये ख़ामोश हो गया

दिल को सुकून मिल ही गया इज़्तिराब में

हम क़रीब कर और दूर हुए

अपने अपने नसीब होते हैं

अब तो एहसास-ए-तमन्ना भी नहीं

क़ाफ़िला दिल का लुटा हो जैसे

हुई थी ख़्वाब में ख़ुशबू सी महसूस

तुम आए ख़्वाब की ता'बीर देखी

वो और होंगे पी के जो सरशार हो गए

हर जाम से हमें तो नई तिश्नगी मिली

दिल वो सहरा है कि जिस में रात दिन

फूल खिलते हैं बहार आती नहीं

अहल-ए-कश्ती ने ख़ुद-कुशी की थी

हुआ बदनाम नाख़ुदा का नाम

अपनी अपनी ज़ात में गुम हैं अहल-ए-दिल भी अहल-ए-नज़र भी

महफ़िल में दिल क्यूँकर बहले महफ़िल में तन्हाई बहुत है

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