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सलाम बिन रज़्जाक़

1941 - 2024 | मुंबई, भारत

प्रसिद्ध कहानी कार,समाज में हाशिये पर रहने वाले लोगों की कहानियाँ लिखने के लिए मशहूर, अनुवादक के रूप में भी पहचान है.

प्रसिद्ध कहानी कार,समाज में हाशिये पर रहने वाले लोगों की कहानियाँ लिखने के लिए मशहूर, अनुवादक के रूप में भी पहचान है.

सलाम बिन रज़्जाक़ की कहानियाँ

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एकलव्य का अंगूठा

इस कहानी का ताना-बाना एक पौराणिक कथा को आधार बनाकर आधुनिक संदर्भों में बुना गया है। कहानी और उसके पात्र वही हैं, बस उनकी स्थिति और शिक्षा का माध्यम बदल गया है। एकलव्य दलित समाज का एक होनहार छात्र है। मेडिकल डिग्री के लिए वह सनातन कॉलेज में दाख़िला ले लेता है। कॉलेज में उसका परफॉर्मेंस सबसे अच्छा होता है, और जब वह अच्छे अंकों से डिग्री प्राप्त कर लेता है तो गुरु द्रोणाचार्य उससे दक्षिणा मांगते हैं। दक्षिणा में वह उससे पहले की तरह ही दाएँ हाथ का अंगूठा मांगते हैं। एकलव्य अंगूठा काटकर दे देता है। परन्तु इस बार अपना अंगूठा देकर वह मात नहीं खाता, क्योंकि यह आधुनिक एकलव्य दाएँ हाथ से नहीं, बाएँ हाथ से कलम पकड़ता है।

आख़िरी कंगूरा

यह कहानी देश में होने वाले किसी भी बम ब्लास्ट के बाद पुलिस और ख़ुफ़िया तंत्र द्वारा मुस्लिम समुदाय को प्रताड़ित किए जाने के दृश्य को बयान करती है। मोहम्मद अली प्रॉपर्टी डीलर है। वह अपने ऑफ़िस में बैठा है कि कुछ पुलिस वाले उसे उठाकर ले जाते हैं। पता चलता है कि उन्होंने उसे शहर में हुए बम ब्लास्ट के संदेह में उठाया है। मोहम्मद अली अपने निर्दोष होने के बारे में हर तरह की सफ़ाई पेश करता है और कहता है कि वह व्यक्ति उसकी बे-गुनाही की गवाही देगा जिसे उसने बम ब्लास्ट के समय बचाया था। उस व्यक्ति से मिलने अस्पताल जाने पर पता चलता है कि वह व्यक्ति तो कोमा में चला गया है और पता नहीं कि उसे कब होश आएगा।

बड़े क़द का आदमी

यह ऐसे दो दोस्तों की कहानी है, जो एक दिन सड़क पर चलते हुए अचानक एक-दूसरे से टकरा जाते हैं। एक उसे नज़र-अंदाज़़ करना चाहता है, दूसरा दोस्त उसे पहचान लेता है और उसके क़रीब चला आता है। दोनों मिलकर काम और बीत रही ज़िंदगी के बारे में बातें करते हैं। दूसरा दोस्त उससे उसके बेटे के बारे में पूछता है, जिससे वह अक्सर ढेरों तोहफ़ों के साथ मिलने उसके घर जाया करता था। मगर जब से उसकी आर्थिक स्थिति ख़राब हुई है, वह उसके बेटे को मिलने नहीं जा पाया था। वह उसे बताता है कि उसका बेटा भी उसे याद करता है। इस पर वह अपने दोस्त से सौ रूपये उधार लेता है और उसके बेटे के लिए तोहफ़े खरीद कर देता है।

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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