आँसू हूँ हँस रहा हूँ शगूफ़ों के दरमियाँ
शबनम हूँ जल रहा हूँ शरारों के शहर में
सलाम एक जुलाई 1921 को मछलीशहर ,जौनपुर में पैदा हुए.सिर्फ़ हाई स्कूल तक शिक्षा प्राप्त कर सके.उसकेबाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में नौकरी करली. लाइब्रेरी की नौकरी के दौरान सलाम ने कई ज़बानों के अदब का अध्ययन किया.1963 में लखनऊ रेडियो स्टेशन पर स्क्रिप्ट लेखन पर नियुक्त हुए.1952 में सहायक प्रोडूसर बनाकर श्रीनगर रेडियो स्टेशन भेज दिये गये.कुछ अर्से तक वहाँ रहे फिर लौटकर देहली रेडियो स्टेशन में आ गये और प्रोडूसर के रूप में नियुक्त हुए.सलाम को उनकी समग्र सेवाओँ को स्वीकार करते हुए ‘पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया. सलाम मछलीशहरी का पहला परिचय प्रगतिशील आंदोलन के वैचारिक आस्था से बच निकल एक बिल्कुल नई ढंग की रूमानी शायरी की रचना से जुड़ा है. सलाम अपने वक़्त में सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाले शायरों में थे,नौजवानों में उनकी शायरी की लोकप्रियता ने उन्हें ख़ूब शोहरत दिलाई.