- पुस्तक सूची 187236
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1951
औषधि899 आंदोलन295 नॉवेल / उपन्यास4566 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी12
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर64
- दीवान1445
- दोहा64
- महा-काव्य111
- व्याख्या195
- गीत83
- ग़ज़ल1142
- हाइकु12
- हम्द44
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1564
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात685
- माहिया19
- काव्य संग्रह4970
- मर्सिया377
- मसनवी824
- मुसद्दस58
- नात544
- नज़्म1226
- अन्य68
- पहेली16
- क़सीदा186
- क़व्वाली19
- क़ित'अ61
- रुबाई295
- मुख़म्मस17
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम33
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई29
- अनुवाद73
- वासोख़्त26
सरवर जमाल के हास्य-व्यंग्य
अगर मैं शौहर होती
आप पूछेंगे कि मेरे दिल में ऐसा ख़याल क्यों आया? आप इसे ख़याल कह रहे हैं? जनाब ये तो मेरी आरज़ू है, एक देरीना तमन्ना है। ये ख़्वाहिश तो मेरे दिल में उस वक़्त से पल रही है, जब मैं लड़के लड़की का फ़र्क़ भी नहीं जानती थी। इस आरज़ू ने उस दिन मेरे दिल में जन्म
मुफ़्त के मशवरे
ये कोई इंग्लैंड या अमरीका तो है नहीं जहाँ ख़याल बिकता हो। मशवरे हासिल करने के लिए रुपया ख़र्च करना होता है। किसी से मिलने या बातें करने के लिए हफ़्तों पहले अपवाइंटमेंट करना पड़ता हो, ये जनाब हिंदोस्तान है हिंदोस्तान, जहाँ रिश्तेदारों से ज़्यादा मुलाक़ाती
शौहर होने के बाद
एक सुबह मेरी आँख खुली, तो मैंने देखा कि मैं एक शौहर हो चुकी हूँ। ये मो'जिज़ा कैसे ज़हूर पज़ीर हुआ, इसके लिए मैं ख़ुद हैरान हूँ, बस इतना याद है कि एक बार मैंने शौहर बनने की ख़्वाहिश टूट कर की थी। क़ुदरत ने ग़ालिबन मेरी पिछली तमाम ख़्वाहिशों की पामाली के सिले
वक़्त की मार
बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि वक़्त बहुत बुरी शय है।ऐसा न होता तो ये मुहावरे कैसे बनते। “वक़्त आ पड़ा है।” “वक़्त-वक़्त की बात है।” “ख़ुदा किसी पर वक़्त न डाले।” वक़्त की अहमियत जाने बग़ैर इन मुहावरों को मौज़ूँ व नामौज़ूँ ला-ता'दाद बार इस्तेमाल करती चली
जुनून-ए-लतीफ़ा
लतीफ़े का जुनून भी क्या जुनून होता है साहब। माफ़ कीजिएगा, लतीफ़ा का नहीं लतीफ़ा-गोई का जुनून-ए-लतीफ़ा के मरीज़ की पहचान ये है कि वो ख़ुद कोई लतीफ़ा सुन्ना पसंद नहीं करता। ब फ़र्ज़-ए-मुहाल अगर उसने एक लतीफ़ा जबरन-क़हरन सुन भी लिया तो उसके बदले बिला मुबालिग़ा
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य1951
-