Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Shamim Karhani's Photo'

शमीम करहानी

1913 - 1975 | करहान, भारत

प्रसिद्ध राष्ट्रवादी एवं तरक़्क़ी-पसंद शाइर

प्रसिद्ध राष्ट्रवादी एवं तरक़्क़ी-पसंद शाइर

शमीम करहानी

ग़ज़ल 48

नज़्म 12

अशआर 7

बुझा है दिल तो समझो कि बुझ गया ग़म भी

कि अब चराग़ के बदले चराग़ की लौ है

याद-ए-माज़ी ग़म-ए-इमरोज़ उमीद-ए-फ़र्दा

कितने साए मिरे हमराह चला करते हैं

चुप हूँ तुम्हारा दर्द-ए-मोहब्बत लिए हुए

सब पूछते हैं तुम ने ज़माने से क्या लिया

लीजिए बुला लिया आप को ख़याल में

अब तो देखिए हमें कोई देखता नहीं

  • शेयर कीजिए

पीने को इस जहान में कौन सी मय नहीं मगर

इश्क़ जो बाँटता है वो आब-ए-हयात और है

पुस्तकें 13

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 4

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
ज़बाँ को हुक्म ही कहाँ कि दास्तान-ए-ग़म कहें

शमीम करहानी

टूटी हुई कश्ती को किनारे भी मिले हैं

शमीम करहानी

पी कर भी तबीअत में तल्ख़ी है गिरानी है

शमीम करहानी

ऑडियो 11

कौन है दर्द-आश्ना संग-दिली का दौर है

ग़म दो आलम का जो मिलता है तो ग़म होता है

जश्न-ए-हयात हो चुका जश्न-ए-ममात और है

Recitation

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए