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संपूर्ण
परिचय
ई-पुस्तक167
लेख1
तंज़-ओ-मज़ाह17
शेर3
ग़ज़ल14
नज़्म2
क़िस्सा7
वीडियो3
गेलरी 1
हास्य शायरी1
नअत1
शौकत थानवी के हास्य-व्यंग्य
वकील
हिन्दुस्तान में जैसी अच्छी पैदावार वकीलों की हो रही है अगर उतना ही ग़ल्ला पैदा होता तो कोई भी फ़ाक़े न करता। मगर मुसीबत तो ये है कि ग़ल्ला पैदा होता है कम और वकीलों की फ़सल होती है अच्छी। नतीजा यही होता है कि वही सब ग़ल्ला खा जाते हैं और बाक़ी सब के लिए
मुशाइर
शा’इर सुना था। मुतशा’इर भी सुना था। एक सरकारी क़िस्म के मुशा’इरे में “मुशा’इर” भी सुन लिया। बानी-ए-मुशा’इरा शो’रा-ए-किराम का शुक्रिया अदा फ़रमा थे। मैं मुशा’इर साहबान का बेहद शुक्र-गुज़ार हूँ। मुशा’इर हज़रात ने बड़ी तकलीफ़ फ़रमाई है, इस मुशा’इरे में
शादी हिमाक़त है
शादी के बाद से इस बात पर ग़ौर करने की कुछ आदत सी हो गई है कि शादी करना कोई दानिशमंदाना फे़’ल है या हिमाक़त, यानी अगर ये दानिशमंदी है तो फिर बा’ज़ औक़ात अपने बेवक़ूफ़ होने का बेसाख़्ता एहसास क्यों होने लगता है और अगर ये हिमाक़त है तो इस हिमाक़त में दुनिया क्यों
क्रिकेट मैच
बा’ज़ दोस्तों ने स्यालकोट चलने को कहा तो हम फ़ौरन तैयार हो गए मगर जब ये मालूम हुआ कि इस सफ़र का मक़सद क्रिकेट मैच है तो यकायक साँप सूंघ गया। सफ़र का तमाम वलवला एक बीती हुई याद की नज़र हो कर रह गया। अब लाख लाख सब पूछते हैं कि चक्कर आगया है। फ़ालिज गिरा है। क़ल्ब
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