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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Syed Sibte Hasan

1912 - 1986 | Pakistan

Syed Sibte Hasan

Article 13

Quote 10

ज़बानें मुर्दा हो जाती हैं, लेकिन उनके अल्फ़ाज़ और मुहावरे, अलामात और इस्तिआ'रात नई ज़बानों में दाख़िल हो कर उनका जुज़ बन जाते हैं।

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सेहर इब्तिदाई इंसान की नफ़सियाती तदबीरों का दूसरा नाम है।

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रियासत फ़क़त एक जुग़राफ़ियाई या सियासी हक़ीक़त होती है। चुनाँचे यह ज़रूरी नहीं है कि रियासत और क़ौम की सरहदें एक हो।

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अगर कोई मुआ'शरा रूह-ए-अस्र की पुकार नहीं सुनता, बल्कि पुरानी डगर पर चलता रहता है, तो तहज़ीब का पौधा भी ठिठुर जाता है और फिर सूख जाता है।

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रस्म-उल-ख़त की इस्लाह की बहस को मज़हबी रंग दें, क्योंकि रस्म-उल-ख़त का तअ'ल्लुक़ मज़हब से नहीं है।

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interview 1

 

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Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25

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